पुराने सहयोगी पाकिस्तान को उन्नत AIM-120 AMRAAM हवा-से-हवा मिसाइलें देने की तैयारी कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ चीन ने भारत के पूर्वी पड़ोसी बांग्लादेश को 20 नए J-10CE फाइटर जेट बेचने का बड़ा सौदा किया है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इन दोनों घटनाक्रमों से दक्षिण एशिया में हथियारों की होड़ और भू-राजनीतिक तनाव बढ़ेगा, जिसका सीधा असर भारत की सुरक्षा और 'पड़ोसी पहले' की नीति पर पड़ेगा।
पश्चिमी मोर्चे पर बढ़ा हवाई खतरा: पाकिस्तान को AMRAAM मिसाइलें
अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को AIM-120 AMRAAM (एडवांस्ड मीडियम-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल) देने की खबर से भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं।
AIM-120 AMRAAM की मारक क्षमता: ये मिसाइलें पाकिस्तान के F-16 लड़ाकू विमानों पर लगाई जाएंगी। ये लंबी दूरी (करीब 100 किलोमीटर) से भी भारतीय विमानों को निशाना बनाने में सक्षम हैं।
बालाकोट का इतिहास: 2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद हुई हवाई झड़प में पाकिस्तान ने इसी मिसाइल का इस्तेमाल किया था, जिससे भारत का एक MiG-21 विमान गिरा दिया गया था। नई और उन्नत AMRAAM मिसाइलें पाकिस्तानी वायुसेना (PAF) को और भी ताकतवर बनाएंगी, जिससे पश्चिमी सीमा पर हवाई टकराव का खतरा बढ़ सकता है।
रणनीतिक बदलाव: यह अमेरिका-पाकिस्तान के बढ़ते रक्षा सहयोग को भी दर्शाता है। अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को उन्नत हथियार मुहैया कराना इस क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
पूर्वी मोर्चे पर चीन का 'घेराव': बांग्लादेश को J-10CE जेट
चीन और बांग्लादेश के बीच हुए $2.2 बिलियन के सौदे ने भारत के पूर्वी मोर्चे पर दबाव बढ़ा दिया है। बांग्लादेश चीन से 20 J-10CE फाइटर जेट खरीद रहा है, जिनकी डिलीवरी 2026-2027 तक होने की उम्मीद है।
J-10CE की खासियत: J-10CE, चीन के J-10C मल्टीरोल फाइटर जेट का निर्यात संस्करण है। ये उन्नत चीनी तकनीक से लैस जेट बांग्लादेशी वायुसेना को आधुनिक बनाएंगे।
तीसरे मोर्चे का खतरा: सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बांग्लादेश की वायुसेना इन उन्नत चीनी जेटों के साथ मजबूत होती है, तो भारत को पाकिस्तान और चीन के अलावा पूर्वी बॉर्डर पर भी एक नया मोर्चा संभालना पड़ सकता है।
चीन की रणनीति: चीन, बांग्लादेश को हथियार बेचकर भारत को क्षेत्रीय स्तर पर घेरने की कोशिश कर रहा है। बांग्लादेश की हवाई ताकत में इजाफा होने से भारत के पूर्वी बॉर्डर की सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ेगा।
भारत पर संभावित चुनौतियां और आगे की राह
इन दोनों सैन्य सौदों से भारत की सुरक्षा को कई तरह के जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है:
दो-मोर्चे की चुनौती: भारत को पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान की उन्नत हवाई क्षमता और पूर्वी सीमा पर बांग्लादेश की बढ़ती ताकत, दोनों से एक साथ निपटना होगा।
भू-राजनीतिक तनाव: अमेरिका और चीन, दोनों अपने-अपने सहयोगियों को हथियार देकर दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ेगा।
एयर डिफेंस को चुनौती: उन्नत AIM-120 मिसाइलें और J-10CE जेट भारतीय वायुसेना (IAF) और मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम (जैसे S-400) के लिए नई चुनौतियां पेश करेंगे।
क्या है समाधान?
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी रक्षा क्षमता को तुरंत और मजबूत करना होगा। राफेल जैसे उन्नत लड़ाकू विमानों और S-400 जैसी मिसाइल प्रणालियों को अपग्रेड करना ज़रूरी है। साथ ही, भारत को अपनी 'पड़ोसी पहले' की नीति पर अधिक ध्यान देते हुए कूटनीति के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने की दिशा में काम करना होगा।
भारत के लिए यह समय अपनी रक्षा तैयारियों और रणनीतिक साझेदारी को एक नई दिशा देने का है।