जैसलमेर में हवाई हमले का मॉक ड्रिल: राष्ट्रीय स्तर पर 244 जिलों में अभ्यास

Prem Chand bhati

**जैसलमेर में हवाई हमले का मॉक ड्रिल: राष्ट्रीय स्तर पर 244 जिलों में अभ्यास**


7 मई 2025 को, राजस्थान के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीमावर्ती जिले जैसलमेर में एक राष्ट्रव्यापी नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल आयोजित होगी। यह अभ्यास, गृह मंत्रालय (एमएचए) के निर्देश पर, संभावित हवाई खतरों के लिए तैयारियों को मजबूत करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। यह ड्रिल 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के मद्देनजर आयोजित हो रही है, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। भारत के 244 नागरिक सुरक्षा जिलों में से एक, जैसलमेर की इस ड्रिल में भागीदारी, पाकिस्तान सीमा से इसकी नजदीकी और महत्वपूर्ण रक्षा प्रतिष्ठानों की मौजूदगी के कारण विशेष महत्व रखती है।


### जैसलमेर क्यों?


जैसलमेर, जिसे श्रेणी 2 नागरिक सुरक्षा जिले के रूप में वर्गीकृत किया गया है, में प्रमुख सैन्य और वायु सेना के ठिकाने हैं, जो इसे सुरक्षा अभ्यासों के लिए महत्वपूर्ण बनाते हैं। भारत-पाक सीमा के साथ इसकी रणनीतिक स्थिति, हाल की सीमा पार गोलीबारी और बढ़ती जासूसी ग doPahari.com पर बढ़ती जासूसी गतिविधियों के कारण इसकी प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। जैसलमेर के पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी ने हाल ही में सीमा पार से आने वाली "जासूसी कॉल्स" में वृद्धि पर प्रकाश डाला, जहां धोखेबाज खुद को सेना के अधिकारी बताकर संवेदनशील जानकारी निकालने की कोशिश करते हैं। इस संदर्भ में, क्षेत्र में मजबूत नागरिक सुरक्षा उपायों की आवश्यकता और बढ़ जाती है।


### मॉक ड्रिल में क्या शामिल है?


जैसलमेर में हवाई हमले का मॉक ड्रिल राष्ट्रीय स्तर पर आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणालियों को परखने और मजबूत करने के लिए एक समन्वित प्रयास का हिस्सा है। इसके प्रमुख घटक हैं:


- **हवाई हमले की सायरन परीक्षण**: आने वाले हवाई खतरों की चेतावनी के लिए सायरन बजाए जाएंगे, जिससे नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर जाने का अभ्यास करने का मौका मिलेगा। यह चेतावनी प्रणालियों की कार्यक्षमता और जनता के प्रतिक्रिया समय की जांच करता है।

- **ब्लैकआउट प्रोटोकॉल**: निवासियों से रोशनी बंद करने के लिए कहा जा सकता है ताकि युद्धकालीन ब्लैकआउट की स्थिति का अनुकरण किया जा सके, जिससे दुश्मन के विमानों को दृश्यता कम हो। यह अभ्यास, जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उपयोग किया गया था, का उद्देश्य हताहतों और नुकसान को कम करना है।

- **नागरिक प्रशिक्षण**: स्थानीय अधिकारी, नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों, होम गार्ड्स, एनसीसी, एनएसएस और छात्रों के साथ मिलकर व्यावहारिक सत्र आयोजित करेंगे। नागरिकों को प्राथमिक चिकित्सा, अग्निशमन और आश्रय लेने की प्रक्रियाओं के बारे में सीखने का अवसर मिलेगा।

- **बुनियादी ढांचे की सुरक्षा**: इस ड्रिल में महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, जैसे हवाई अड्डों और सैन्य ठिकानों को हवाई पहचान से बचाने के लिए छलावरण शामिल होगा। उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की निकासी योजनाओं का भी अभ्यास किया जाएगा।

- **सशस्त्र बलों के साथ समन्वय**: आपात स्थिति के दौरान निर्बाध समन्वय सुनिश्चित करने के लिए भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के साथ हॉटलाइन और रेडियो संचार लिंक को चालू किया जाएगा।


### स्थानीय तैयारियां और जनता की भागीदारी


जैसलमेर प्रशासन, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के साथ मिलकर, उच्च सतर्कता पर है। पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी ने रक्षा प्रतिष्ठानों के पास रहने वाले निवासियों में जागरूकता पैदा करने के लिए चल रहे प्रयासों पर जोर दिया, जिसमें उन्हें संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देने का आग्रह किया गया। जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करने की तैयारी कर रहा है कि ड्रिल बिना किसी सार्वजनिक दहशत के सुचारू रूप से चले। निवासियों को सलाह दी गई है कि वे बिजली कटौती या इंटरनेट बंद होने की नकली स्थिति के लिए टॉर्च, मोमबत्ती, मेडिकल किट और नकदी तैयार रखें।


भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने सांसदों और नागरिकों से साधारण स्वयंसेवकों के रूप में भाग लेने का आह्वान किया है, जिसमें इस ड्रिल की सामूहिक लचीलापन को बढ़ावा देने में भूमिका पर जोर दिया गया है। जैसलमेर में स्कूल, कॉलेज और सामुदायिक केंद्रों में जागरूकता सत्र आयोजित किए जाएंगे ताकि लोगों को शांत रहने और आपात स्थिति में प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने के बारे में शिक्षित किया जा सके।


### यह ड्रिल क्यों महत्वपूर्ण है?


यह 1971 के बाद भारत का पहला राष्ट्रव्यापी नागरिक सुरक्षा ड्रिल है, जब भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ। यह अभ्यास वर्तमान भू-राजनीतिक माहौल में "नए और जटिल खतरों" के लिए तैयार करने में सरकार की सक्रिय रुख को दर्शाता है। जैसलमेर के लिए, सीमा से निकटता और संवेदनशील प्रतिष्ठानों की उपस्थिति के कारण यह ड्रिल विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह सबसे खराब स्थिति के लिए एक रिहर्सल होने के साथ-साथ नागरिकों को सशक्त बनाने वाली एक शैक्षिक पहल भी है।


### 244 जिलों में राष्ट्रव्यापी अभ्यास


जैसलमेर उन 244 जिलों में से एक है, जिन्हें पूरे भारत में इस नागरिक सुरक्षा अभ्यास के लिए चुना गया है। ये जिले रणनीतिक महत्व और जोखिम प्रोफाइल के आधार पर श्रेणी 1 और श्रेणी 2 में वर्गीकृत हैं। जैसलमेर, एक श्रेणी 2 जिले के रूप में, इस अभ्यास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जो रक्षा तैयारियों को मजबूत करने और नागरिक जागरूकता बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।


### कार्रवाई का आह्वान


जैसलमेर में मॉक ड्रिल केवल एक नियमित अभ्यास नहीं है—यह अनिश्चित समय में सतर्कता और तैयारियों के महत्व की याद दिलाता है। जैसे ही रेगिस्तानी शहर में हवाई हमले के सायरन गूंजेंगे और निवासी ब्लैकआउट प्रोटोकॉल का अभ्यास करेंगे, संदेश स्पष्ट है: तैयारियां लचीलापन की कुंजी हैं। नागरिकों से आग्रह है कि वे सक्रिय रूप से भाग लें, स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करें और सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में सूचित रहें।


राष्ट्रव्यापी ड्रिल और जैसलमेर की भूमिका के बारे में अधिक जानकारी के लिए, [x.ai/grok](https://x.ai/grok) पर जाएं या स्थानीय प्रशासन के अपडेट देखें। तैयार रहें, सुरक्षित रहें।


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*नोट*: यह ब्लॉग 7 मई 2025 के नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल से संबंधित हाल की रिपोर्टों और आधिकारिक संचार पर आधारित है। वास्तविक समय के अपडेट के लिए, विश्वसनीय समाचार स्रोतों या सरकारी निर्देशों का उल्लेख करें।

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